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पैगाम


पैगाम

आई बहार , और ले गई
दिल  के करार  को
चन्द हादिसे नज़र रहे
इस   बू-  ऐ- यार को

कुछ चाहते बची रही
वो भी  ख़ार हो चली
क्या रह गया ना पूछिये
दिल -ए -दागदार क़ो


बीती हुई एक बात कही
दिले  नागवार को
कुछ तो गिला रहे   कही
'अरू  ' अबकी बार तो


copyright : Rai Aradhana ©


Paigāma 
ā'ī bahāra, aura lē ga'ī
dila kē karāra kō
canda hādisē nazara rahē
isa bū- ai- yāra kō

kucha cāhatē bacī rahī
vō bhī ḵẖāra hō calī
kyā raha gayā nā pūchiyē
dila -ē -dāgadāra qō


bītī hu'ī ēka bāta kahī
dilē nāgavāra kō
kucha tō gilā rahē kahī
'anā' abakī bāra tō



پیغام

آئی بہار، اور لے گئی
دل کے معاہدہ کو
چند حادثے نظر رہے
اس بو- ے- یار کو

کچھ چاہتے بچی رہی
وہ بھی خار ہو چلی
کیا رہ گیا نا پوچھيے
دل محمد -داگدار قو


بیتی ہوئی ایک بات کہی
دل ناگوار کو
کچھ تو گلہ رہے کہی
'انا' اب کی بار تو

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गीत---- नज़्म

आपकी बातों में जीने का सहारा है राब्ता बातों का हुआ अब दुबारा है अश्क ढले नगमों में किसे गवारा है चाँद तिरे मिलने से रूप को संवारा है आईना बता खुद से कौन सा इशारा है मस्त बहे झोकों में हसीन सा नजारा है अश्कबार आँखों में कौंध रहा शरारा है सिमटी हुई रातों में किसने अब पुकारा है आराधना राय "अरु"
आज़ाद नज़्म पेड़ कब मेरा साया बन सके धुप के धर मुझे  विरासत  में मिले आफताब पाने की चाहत में नजाने  कितने ज़ख्म मिले एक तू गर नहीं  होता फर्क किस्मत में भला क्या होता मेरे हिस्से में आँसू थे लिखे तेरे हिस्से में मेहताब मिले एक लिबास डाल के बरसो चले एक दर्द ओढ़ ना जाने कैसे जिए ना दिल होता तो दर्द भी ना होता एक कज़ा लेके हम चलते चले ----- आराधना  राय कज़ा ---- सज़ा -- आफताब -- सूरज ---मेहताब --- चाँद

गीत हूँ।

न मैं मनमीत न जग की रीत ना तेरी प्रीत बता फिर कौन हूँ घटा घनघोर मचाये शोर  मन का मोर नाचे सब ओर बता फिर कौन हूँ मैं धरणी धीर भूमि का गीत अम्बर की मीत अदिति का मान  हूँ आराधना