तुम पे इल्ज़ाम लगायेगी दुनियाँ लेकिन
दिल में शम्मा -ए -रौशन जलाये रखना ।
वो जो नश्तर भी चुभोयेंगे दिल में गर तेरे
अपने ज़ख्मों को खुद से ही छिपाए रखना।
कुछ भी सवाल करें दुश्वार हो ज़ीना लेकिन
दिल के आईने को तू ना कभी दरकने देना।
बहूत पैनी हैं ये दुनियाँ कि निग़ाहें ये ''अरू ''
अपनी आँखों को तू नहीं कभी झुकने देना।
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