क्या पा लेती
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मैं जी तो क्या जी लेती
अपनी आस ही जी लेती
चाँद तुझे ही निहार लेती
तृषा चातक कि पी लेती
भर्मित हो जीवन जी लेती
ऐसे जी कर क्या पा लेती
सुख का आधार पा लेती
उर में बसे प्राण पा लेती
अपने सपनों में जी लेती
अपने ह्रदय को पा लेती
आराधना
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