मेरे नाम दिन के उजाले हुए है
अंधेरों को हम क्यों पाले हुए है
किन मज़बूरियों में ढाले हुए है
हालत तंग दिल में छाले हुए है
ख्वाब क्यों हमने फिर पाले हुए है
हसरतों कि ख्वाहिशें जाने हुए है
=================================
गर ज़िन्दगी तू ख्वाब है
क्यों हसरतों के नाम है
देख शिवालय भी गिरते है
मरते है उफ नहीं करते है
लोग जीवन के लिए रोज़
मर कर भी यही उठते है
कौन सा कहर था आँखों पे
अश्क बन के जो निकलते है
सिर्फ एक निवाले के लिए नहीं
ज़िंदगी जीने के लिए जलते है
मौत तू आ भी गई कहीं से गर
तेरे सामने हंस के गुज़रते से है
ज़िन्दगी भूख सही दर्द गम सही
अश्क आँखों में भर के हँसते है
आराधना
नेपाल त्रासदी पर
--------------------------------------------
कैसा ये शोर उठा ,हर तरफ कहर जारी
पत्थर दिल मोम हुए रूठी दुनियाँ सारी
लगी हुई थी नर्तन करने चारों ओर तबाही
माँ से बच्चे अलग हुए यू टूटी दुनियाँ सारी
मिलने और बिछड़ने में ही लगा हुआ संसार
सब अपने अश्क़ में डूबे और बच्चे हुए अनाथ
आराधना राय
Comments