कहाँ
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मेरे चेहरे कि गढ़न भी याद होगी अब उसे कहाँ
उस का वास्ता मुझ से यू भी ऐसा भी रहा ही कहाँ
वक़्त जब चला जाता है कोई रोक पाता है कहाँ
बीतते लम्हों में कैद ये जिस्म यू रह पाता कहाँ
ढूँढते फिरे जिसे जीने के लिए वो मिला ही कहाँ
अनजान सी यादें थी "अरु " कोई जीया ही कहाँ
आराधना राय
वक़्त जब चला जाता है कोई रोक पाता है कहाँ
बीतते लम्हों में कैद ये जिस्म यू रह पाता कहाँ
ढूँढते फिरे जिसे जीने के लिए वो मिला ही कहाँ
अनजान सी यादें थी "अरु " कोई जीया ही कहाँ
आराधना राय
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