क्या कहिये
------------------------------------------------
जिन कि फ़ितरत ही यू पत्थर से मारने कि हो
प्यार कि बातें भी उन से अब यू क्या कहिये
ज़ज़्ब कर रख ले बादल जब यू कोई आब ही
ना बरसने वाली उस बरसात का क्या कहिये
तिश्नगी है इश्क़ कि यों बढ़ती ही ये तो जाएगी
रूह प्यासी रही ज़ज़्बात कि "अरु" क्या कहिये
आराधना राय
कोई रूह पुरानी होगी कहीं , दिल कि वादियों ने पुकारा होगा कहीं
Comments