किसकी याद थी जो सताने आई है
कौन सी बात पे ये आँखे भर आई है
तुझे याद ना करने कि क़सम खाई है
इस बात से दिल पे चोट क्यू आई है
तू ज़हन में सवालात बन कर आई है
जवाबों कि किताब तू बन नहीं पाई है
फैसला तद्बीर से बदलने क्यों आई है
दख़ल दे 'अरु' वो क़त्ल करने आई है
आराधना राय
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