ना बिकना आया
--------------------------------------------
लोग बिक जाते है बस पल -दो पल में ही
हमें ना इस तरह बाज़ार में बिकना आया
राह चलतों से बात क्या हम अपनी यू करें
जिन्हें नज़रिया भी ना बदलना कभी आया
अपने ख्वाबों को उम्मीदों के सर ही करते है
रोज़ सिक्कों कि तरह हमें ना बदलना आया
वो खुश रहे उन्होंने बेंच दी दूसरों कि भी अना
हमकों दूसरों कि बर्बादियों पे ना हँसना आया
आराधना राय
---------------------------------------------------
अना --स्वाभिमान ,
Comments