ताक़त-ए-बेदाद-ए-इंतिज़ार नहीं है
हम सा कोई तेरा तलबगार नहीं है
हयात-ए-दहर कि वफा पहले दिखाइए
दिल मेरा उन अब तलक बेज़ार नहीं है
क़त्ल का उसने मेरे इंतज़ाम ऐसा किया
वो जानता था दिल मेरा उस्तुवार नहीं है
मेरा दिल दिल ना था क्यों बेदर्द सा हुआ
अब लोगों कि बातों पे मुझे एतबार नहीं है
माना के रोने पे मेरा इख्तिआर नहीं है
अब उसको मेरा पहले सा इंतज़ार नहीं है
कहते है सितमगार मुझे लोग कुछ "अरु"
उनके दिलों में अब बचा खूमार नहीं है
आराधना राय "अरु"
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इख्तिआर----- अधिकार
इंतज़ार--------- प्रतीक्षा
एतबार---------- विश्वास
उस्तुवार ------- कठोर, ताकतवर
बेज़ार--------- ऊबा हुआ,
इंतज़ाम ------ जुटाना
ताक़त-ए-बेदाद-ए-इंतिज़ार ----- प्रतीक्षा रत रहने कि ताकत
हयात-ए-दहर -----------स्वर्ग सा जीवन
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