साभार गूगल
फूल से सुना नग्मा प्यार का
हाल सुना सबा ने इज़हार का
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लम्हा दर लम्हा गुज़रा तूफान का
दिलों के बीच रिश्ता क्या इकरार का
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शज़र पर आफताब बरसा आग का
कितना तवील था मौसम इंतजार का
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सफर सुहाना रहा घटा से मेहताब का
कली ने सीखा तराना दिल के क़रार का
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दिया जलता रहा मेरी टूटी दीवार का
रात भर अश्क बहा उसके इंकार का
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खिज़ा ने किया है रुख ठंडी हवाओं का
नीद में चुनते रहे ख्वाब इसरार का
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वो बनाता रहा बहाना अपने इक्लाक़ का
रास ना आया "अरु" मौसम खार का
आराधना राय "अरु"
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