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किसी ने नहीं किया

फिलबदी के लिए

आर- काफिया -

प्यार-- इज़हार----इख़्तियार , बहार, एतबार बेज़ार, निसार-शर्मसार,रइंतजा,होशियार


           
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मुझ पर एतबार किसी ने नहीं किया
दिल को बेकरार किसी ने नहीं किया
समंदर ने साथ जब लहरों का किया
तूफां को बेक़रार किसी ने नहीं किया
राह में काँटे चुभे जिगर से खून निकला
इश्क में मिरा इंतजार किसी ने नहीं किया
करूं क्या बात लोगों से बेदिली से अब
मेरी बात का एतबार किसी ने नहीं किया
बात है वादों को दिल से निभाने की
वतन पे जां निसार किसी ने नहीं किया
बड़ी हस्ती है उस महकते गुलशन की
गुलों को शर्मसार,किसी ने नहीं किया
कह दो प्यार उन से किसी ने नहीं किया
"अरु" माँ सा दुलार उन से किसी ने नहीं किया
आराधना राय "अरु"






             
             






               
                 
               


               
               

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गीत---- नज़्म

आपकी बातों में जीने का सहारा है राब्ता बातों का हुआ अब दुबारा है अश्क ढले नगमों में किसे गवारा है चाँद तिरे मिलने से रूप को संवारा है आईना बता खुद से कौन सा इशारा है मस्त बहे झोकों में हसीन सा नजारा है अश्कबार आँखों में कौंध रहा शरारा है सिमटी हुई रातों में किसने अब पुकारा है आराधना राय "अरु"
आज़ाद नज़्म पेड़ कब मेरा साया बन सके धुप के धर मुझे  विरासत  में मिले आफताब पाने की चाहत में नजाने  कितने ज़ख्म मिले एक तू गर नहीं  होता फर्क किस्मत में भला क्या होता मेरे हिस्से में आँसू थे लिखे तेरे हिस्से में मेहताब मिले एक लिबास डाल के बरसो चले एक दर्द ओढ़ ना जाने कैसे जिए ना दिल होता तो दर्द भी ना होता एक कज़ा लेके हम चलते चले ----- आराधना  राय कज़ा ---- सज़ा -- आफताब -- सूरज ---मेहताब --- चाँद

गीत हूँ।

न मैं मनमीत न जग की रीत ना तेरी प्रीत बता फिर कौन हूँ घटा घनघोर मचाये शोर  मन का मोर नाचे सब ओर बता फिर कौन हूँ मैं धरणी धीर भूमि का गीत अम्बर की मीत अदिति का मान  हूँ आराधना