जिंदगी के नाम लिख कर दुश्वारी
नेता अपनी चाल -चल कर आए
नेता अपनी चाल -चल कर आए
नून, तेल, लकड़ी हाय मंहगाई
आप अपना जनाज़ा ले कर आए
आप अपना जनाज़ा ले कर आए
इक फज़ीहत भला किस को नहीं भाए
गाँव के खेत बेच कर नया मकान ले आए
गाँव के खेत बेच कर नया मकान ले आए
राहत के नाम राहत सोच कर पछताए
कहाँ से ढूढ़ कर इत्मिनान के पल ले आए
कहाँ से ढूढ़ कर इत्मिनान के पल ले आए
सिल-सिला कौन सा मुझ को तुझ से जोड़ जाए
रहन पे सामान बाज़ार से सब उधार लाए
रहन पे सामान बाज़ार से सब उधार लाए
कौन सारी रात जलता अंधेरों में इक दिया
अपनी किस्मत का अँधेरा "अरु" खुद ले आए
अपनी किस्मत का अँधेरा "अरु" खुद ले आए
©आराधना राय "अरु"
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