चिडियों ने गाया तराना बहार का
रस्मों- रिवाज़ छोड़ कर सब्र-ओ-करार का
उसकी नादानियां भी कबूल हो गई
वादा निभाया जिसने अपने हज़ूर का
दोस्तों ने अपनी सब आदत बदल ली
करना ना छोड़ा ज़िक्र मेरे शहर का
मालूम क्या रास्तों वो ही मिले मुझे
साथ देता रहा कोई मेरी राहगुज़र का
ढूंढने से कोई इंसान दिखाई नहीं दिया
देख लिया हाल हमने अपने भी शहर का
सूरज ने उग कर फलसफा यही दिया
मुदद्त के बाद देखा "अरु" घर हमने सहर का
आराधना राय "अरु"
रस्मों- रिवाज़ छोड़ कर सब्र-ओ-करार का
उसकी नादानियां भी कबूल हो गई
वादा निभाया जिसने अपने हज़ूर का
दोस्तों ने अपनी सब आदत बदल ली
करना ना छोड़ा ज़िक्र मेरे शहर का
मालूम क्या रास्तों वो ही मिले मुझे
साथ देता रहा कोई मेरी राहगुज़र का
ढूंढने से कोई इंसान दिखाई नहीं दिया
देख लिया हाल हमने अपने भी शहर का
सूरज ने उग कर फलसफा यही दिया
मुदद्त के बाद देखा "अरु" घर हमने सहर का
आराधना राय "अरु"
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