साभार गुगल
तेरी मिरी पहली मुलाक़ात है
जिंदगी प्यार कि सौगात है
कहगे न लब आँखों ने कही
कुछ कहे अनकहे ज़ज्बात है
रह गई इन फिजाओ में कहीं
आधी- अधूरी सी हर बात है
बढ़ गयी दुश्वारियाँ मिरी कहीं
खुद से उलझते हुए ख्यालात है
चाँद , तारों की फलक ने कही
मुड़ के तू देख कैसी बारात है
अहले दिल मान जायेगे कहीं
आज राहों में बिछ रही बिसात है
दिल को तुझ से निस्बत है "अरु"
इक नई रिवायत कि शुरुआत है
आराधना राय "अरु"
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