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नग्मा प्यार का





साभार गुगल

फूलों से सुना नग्मा प्यार का
हाल सुनाया सबा ने इज़हार का
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लम्हा दर लम्हा गुज़रा तूफान का
दिलों के बीच रिश्ता क्या इकरार का
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शज़र पे बरसा आफताब आग का
कितना तवील था मौसम इंतजार का
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सफर सुहाना रहा घटा से मेहताब का
कली ने सीखा तराना दिल के क़रार का
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जलता रहा दिया मेरी टूटी दीवार का
रात भर अश्क बहा उसके इंकार का
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खिज़ा ने किया है रुख ठंडी हवाओं का
नीद में चुनते रहे ख्वाब इसरार का
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वो बनाता रहा बहाना इक्लाक़ का
रास ना आया "अरु" मौसम खार का

आराधना राय "अरु"

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गीत---- नज़्म

आपकी बातों में जीने का सहारा है राब्ता बातों का हुआ अब दुबारा है अश्क ढले नगमों में किसे गवारा है चाँद तिरे मिलने से रूप को संवारा है आईना बता खुद से कौन सा इशारा है मस्त बहे झोकों में हसीन सा नजारा है अश्कबार आँखों में कौंध रहा शरारा है सिमटी हुई रातों में किसने अब पुकारा है आराधना राय "अरु"
आज़ाद नज़्म पेड़ कब मेरा साया बन सके धुप के धर मुझे  विरासत  में मिले आफताब पाने की चाहत में नजाने  कितने ज़ख्म मिले एक तू गर नहीं  होता फर्क किस्मत में भला क्या होता मेरे हिस्से में आँसू थे लिखे तेरे हिस्से में मेहताब मिले एक लिबास डाल के बरसो चले एक दर्द ओढ़ ना जाने कैसे जिए ना दिल होता तो दर्द भी ना होता एक कज़ा लेके हम चलते चले ----- आराधना  राय कज़ा ---- सज़ा -- आफताब -- सूरज ---मेहताब --- चाँद

गीत हूँ।

न मैं मनमीत न जग की रीत ना तेरी प्रीत बता फिर कौन हूँ घटा घनघोर मचाये शोर  मन का मोर नाचे सब ओर बता फिर कौन हूँ मैं धरणी धीर भूमि का गीत अम्बर की मीत अदिति का मान  हूँ आराधना