साभार गुगल
नज़्म बगेर रदीफ और काफिए कि लिखी जाती है---और एक उन्वान पे लिखी जाती है
सनम
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आज जान पे बन आई है सनम
आग सीने में लगी गई है सनम
पत्थर दिल लिए बैठे है सनम
किस से खेल कर बैठे है सनम
मय मीना और मैखाना लिए है
फिर तुझे ही हम खोजते है सनम
रात का दिन पर पहरा है कायम
हम बस तुझे ही देखते है सनम
आराधना राय "अरु"
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