साभार गुगल
क्यू है
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ये कहानी नहीं हक़ीक़त है मुझे तू सुनाता क्यू है
दिल के राज़ तू अपने होठो पे खुद लाता क्यू है
कुछ मज़बूरी रही होगी उसकी बहलाता क्यू है
चोट दिल पे थी लगी खुद से वो छुपाता क्यू है
बात नहीं उस से तो जुड़ा सिलसिला क्यू है
बुत सा बना कर छोड़ दिया उसे भूल जाता क्यू है
कौन सी बात है खता अपनी हर बार दोहराता क्यू है
आराधना राय "अरु"
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