नज्म
इश्क़ कि बाते सभी करते है क्या जाने
दिल अपना के रखते है क्या वो क्या जाने
इश्क़ का जादू है मिराज़ है धोका क्या जाने
मर कर जीते है रस्म ए अदायगी क्या जाने
आग सीने में लगी है दिल का तमाशा क्या जाने
दो बूंद थे दिल के छलक गए वफा के नाम क्या जाने
वो खाक उड़ाते है, रास्तों पर क्यू कहाँ क्या जाने
वो खाक उड़ाते है, रास्तों पर क्यू कहाँ क्या जाने
हम उनको दुआ देते है,रह रह कर अरु क्या जाने
नज्म आराधना राय अरु
नज्म में भार तोल माप होता है पर रदीफ और काफिया नहीं
नज्म में भार तोल माप होता है पर रदीफ और काफिया नहीं
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