दर्द से जीवन को हमने हर- पल संवारा है
मेरे इन लबों पे फ़िर ज़िक्र अब तुम्हारा है
साँस - साँस कहती है दिल से दिल हारा है
हाथ में लहू देखकर तुमने सोचा कातिल है
काम कर गयी रोशनाई वो सितम हमारा है
दोस्त से वफ़ा कर ली दुश्मनी हजार की है
जां से मेरी जान लेकर किसने अब पुकारा है
आराधना राय "अरु"
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