दुखों कि गठरी बांध कर
वो मेरे घर आता है
हँसता है मुस्कुराता है
अपनी नम आँखे लिए
वापस लौट जाता है
कैसे कहे वो दर्द सीने के
अपना हर रिश्ता आज़माता है
किसे दर्द कह दे किसी के नाम
लिख दे
वह अपने रंज पर बस ठहाके लगता है
खामोश हो सब सह लेगा या दर्द
का दरिया बन जायेगा
एक ना एक दिन वो समंदर सा
अपना सब दर्द सह जायेगा
आराधना
वो मेरे घर आता है
हँसता है मुस्कुराता है
अपनी नम आँखे लिए
वापस लौट जाता है
कैसे कहे वो दर्द सीने के
अपना हर रिश्ता आज़माता है
किसे दर्द कह दे किसी के नाम
लिख दे
वह अपने रंज पर बस ठहाके लगता है
खामोश हो सब सह लेगा या दर्द
का दरिया बन जायेगा
एक ना एक दिन वो समंदर सा
अपना सब दर्द सह जायेगा
आराधना
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